कंटकारी के औषधीय जड़ी बूटी के फायदे और नुकसान
कटेरी को विभिन्न जड़ी बूटीयों के साथ मिलाकर उपयोग किया जाता है। कटेरी एक औषधीय जड़ी बूटी है क्या आप कटेरी के फायदे और नुकसान जानते हैं। कटेरी के फायदे अस्थमा, पाचन विकार, बवासीर, कान की सूजन, पेशाब के दौरान दर्द और संक्रमण साथ ही यौन स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए उपयोग किया जाता है। आज इस लेख में औषधीय जड़ी बूटी कटेरी के फायदे और नुकसान संबंधी जानकारी प्राप्त करेगें।
कंटकारी का पौधा: जैसा कि आप ऊपर जान चुके हैं कि कंटकारी का पौधा एक खरपतवार है। यह एक कांटेदार, चमकीली, और बहुत सारी शाखाओं वाली सदाबहार झाड़ी है। इस पौधे के फूल नीले-बैंगनी रंग के होते हैं। इस पौधे के लिए गर्मी का मौसम में बहुत अनुकूलित होता है। यह पौधा विशेष रूप से उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्राों में होता है। अक्सर आपने इस पौधे को सड़कों के किनारे या बंजर जमीन पर खरपतवार के रूप में देखा होगा। इस पौधे के सभी भाग जैसे जड़, तना, पत्ते, फूल, फल और बीज सभी में औषधीय गुण होते हैं। आइए जाने कटेरी का पौधा और इसके सभी अंगों के बारे में।
कंटकारी की जड़: कंटकारी की जड़ बेलनाकार होती है जिसकी लंबाई लगभग 10-45 सेटीमीटर होती है। इन जड़ों का व्यास लगभग कुछ मिली मीटर होती है। कटेरी की जड़ भी झाड़ीनुमा होती है इसलिए इसकी जड़ को 100 जड़ों के समूह के नाम से भी जाना जाता है। कटेरी की जड़ों में मसूर के दानों की तरह ही छोटे-छोटे दाने होते हैं। साथ ही इसकी जड़ झुर्रियों युक्त होती है। कटेरी की जड़ की ऊपरी परत पतली होती है। स्वाद में कटेरी की जड़ का स्वाद कड़वा होता है।
कंटकारी के पत्ते: कंटकारी या कटेरी के पत्ते लंबे और कांटे युक्त होते हैं। साथ ही इनके पत्तों में छोटे-छोटे रूये युक्त बाल होते हैं। पत्तों का रंग गहरा हरा होता है लेकिन समय बढ़ने के साथ इसमें मौजूद कांटे पहले सफेद और फिर धीरे-धीरे पीले होने लगते हैं।
कंटकारी के फूल: कंटकारी या कटेरी के पौधे अपने नीले फूलों के कारण दूर से देखने पर बहुत ही सुंदर दिखाई देते हैं। हालांकि इस पौधे में मौजूद कांटों की बजह से लोग इसे अपने घर के आस-पास नहीं पनपने देते हैं।
कंटकारी के फल: कंटकारी के फल छोटे और गोल बेरी की तरह होते हैं। इनका व्यास लगभग 0.8 – 1 सेमी होता है। जब यह फल कच्चा होता है तो इसका रंग हरा होता है जिसमें सफेद धारियां होती हैं। लेकिन पकने के बाद इस फल का रंग पीला हो जाता है।
कंटकारी के बीज कटेरी के फल में समूह के रूप में बहुत सारे छोटे-छोटे गोल बीज होते हैं। जिनका व्यास लगभग 0.2 सेमी होता है। ये बीज देखने में चमकदार होते हैं जिनका स्वाद तीखा और कड़वा होता है।
कंटकारी के गुण : जैसा कि हम ऊपर जान चुके हैं कि कटेरी एक औषधीय जड़ी बूटी है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसमें विभिन्न प्रकार के गुण मौजूद होते हैं जो हमारी स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने में प्रभावी होते हैं। इस कारण ही आयुर्वेद के साथ ही वैज्ञानिक चिकित्सा पद्धति में भी दवाओं के रूप में कटेरी का उपयोग किया जाता है। कंटकारी के गुण में पोटेशियम नाइट्रेट, फैटी एसिड, डायोसजेनिन, सिटोस्टेरॉल, इसोक्लोरोजेनिक एसिड, न्यूरोसेनोजेनिक एसिड, क्रोनोजेनिक एसिड , कैफीक एसिड आदि अच्छी मात्रा में होते हैं।
कंटकारी का पौधा: जैसा कि आप ऊपर जान चुके हैं कि कंटकारी का पौधा एक खरपतवार है। यह एक कांटेदार, चमकीली, और बहुत सारी शाखाओं वाली सदाबहार झाड़ी है। इस पौधे के फूल नीले-बैंगनी रंग के होते हैं। इस पौधे के लिए गर्मी का मौसम में बहुत अनुकूलित होता है। यह पौधा विशेष रूप से उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्राों में होता है। अक्सर आपने इस पौधे को सड़कों के किनारे या बंजर जमीन पर खरपतवार के रूप में देखा होगा। इस पौधे के सभी भाग जैसे जड़, तना, पत्ते, फूल, फल और बीज सभी में औषधीय गुण होते हैं। आइए जाने कटेरी का पौधा और इसके सभी अंगों के बारे में।
कंटकारी की जड़: कंटकारी की जड़ बेलनाकार होती है जिसकी लंबाई लगभग 10-45 सेटीमीटर होती है। इन जड़ों का व्यास लगभग कुछ मिली मीटर होती है। कटेरी की जड़ भी झाड़ीनुमा होती है इसलिए इसकी जड़ को 100 जड़ों के समूह के नाम से भी जाना जाता है। कटेरी की जड़ों में मसूर के दानों की तरह ही छोटे-छोटे दाने होते हैं। साथ ही इसकी जड़ झुर्रियों युक्त होती है। कटेरी की जड़ की ऊपरी परत पतली होती है। स्वाद में कटेरी की जड़ का स्वाद कड़वा होता है।
कंटकारी के पत्ते: कंटकारी या कटेरी के पत्ते लंबे और कांटे युक्त होते हैं। साथ ही इनके पत्तों में छोटे-छोटे रूये युक्त बाल होते हैं। पत्तों का रंग गहरा हरा होता है लेकिन समय बढ़ने के साथ इसमें मौजूद कांटे पहले सफेद और फिर धीरे-धीरे पीले होने लगते हैं।
कंटकारी के फूल: कंटकारी या कटेरी के पौधे अपने नीले फूलों के कारण दूर से देखने पर बहुत ही सुंदर दिखाई देते हैं। हालांकि इस पौधे में मौजूद कांटों की बजह से लोग इसे अपने घर के आस-पास नहीं पनपने देते हैं।
कंटकारी के फल: कंटकारी के फल छोटे और गोल बेरी की तरह होते हैं। इनका व्यास लगभग 0.8 – 1 सेमी होता है। जब यह फल कच्चा होता है तो इसका रंग हरा होता है जिसमें सफेद धारियां होती हैं। लेकिन पकने के बाद इस फल का रंग पीला हो जाता है।
कंटकारी के बीज कटेरी के फल में समूह के रूप में बहुत सारे छोटे-छोटे गोल बीज होते हैं। जिनका व्यास लगभग 0.2 सेमी होता है। ये बीज देखने में चमकदार होते हैं जिनका स्वाद तीखा और कड़वा होता है।
कंटकारी के गुण : जैसा कि हम ऊपर जान चुके हैं कि कटेरी एक औषधीय जड़ी बूटी है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसमें विभिन्न प्रकार के गुण मौजूद होते हैं जो हमारी स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने में प्रभावी होते हैं। इस कारण ही आयुर्वेद के साथ ही वैज्ञानिक चिकित्सा पद्धति में भी दवाओं के रूप में कटेरी का उपयोग किया जाता है। कंटकारी के गुण में पोटेशियम नाइट्रेट, फैटी एसिड, डायोसजेनिन, सिटोस्टेरॉल, इसोक्लोरोजेनिक एसिड, न्यूरोसेनोजेनिक एसिड, क्रोनोजेनिक एसिड , कैफीक एसिड आदि अच्छी मात्रा में होते हैं।
कटेरी की तासीर कैसी होती है कटेरी की तासीर गर्म होती है इसलिए औषधी के रूप में उपयोग करते समय इसकी बहुत ही कम मात्रा का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
कंटकारी का औषधीय गुण
पोषक तत्वों की उच्च मात्रा होने के कारण भटकटैया हमारे स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को प्रभावी रूप से दूर कर सकती है। भटकटैया के औषधीय गुण इस प्रकार हैं।
एंटी-अस्थमैटिक – इस गुण के कारण कटेरी के फायदे अस्थमा के लक्षणों को कम करने में सहायक होते हैं।
हाइपोग्लाइसेमिक – हाइपोग्लाइसेमिक होने के कारण यह शरीर में ब्लड शुगर को कम करने में सहायक होता है।
हेपेटोप्रोटेक्टिव गुण होने के कारण यह लिवर की रक्षा भी करता है।
एंटी-इंफ्लामेटरी – यह गुण होने के कारण भटकटैया सूजन संबंधी समस्याओं को प्रभावी रूप से दूर कर सकता है।
कंटकारी का आयुर्वेदिक उपयोग
मुख्य रूप से कटेरी का उपयोग स्वास संबंधी समस्या जैसे अस्थमा, खांसी, हिचकी आदि का इलाज करने में किया जाता है। इसके अलावा अपने औषधीय गुणों के कारण कटेरी बुखार, सूजन आदि का भी प्रभावी उपचार कर सकता है। आयुर्वेद में में इसे दवा के रूप में सीधे ही उपयोग किया जाता है। इसके अलावा इसे कई अन्य जड़ी बूटीयों के साथ मिलाकर भी इस्तेमाल किया जाता है।
1 कंटकारी के स्वास्थ्य लाभ
कटेरी का उपयोग आयुर्वेद, सिद्ध और युनानी में विभिन्न रोगों के उपचार में किया जाता है। यह कृमि, खांसी, गला बैठना, बुखार, पेशाब के दौरान दर्द और मूत्राशय में पथरी के इलाज में उपयोगी है। इसके अलावा यह अस्थमा, माइग्रेन और सिरदर्द का भी प्रभावी इलाज कर सकता है। इस पौधे के सभी अंगों को पीसकर पेस्ट का उपयोग करने पर यह गठिया के लक्षणों को कम कर सकता है। आइए विस्तार से जाने कटेरी के फायदे क्या हैं।
2 कंटकारी के लाभ खांसी में खांसी का घरेलू उपचार करने के लिए कटेरी का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए आप कटेरी के पूरे पौधे या पंचांग की 3-5 ग्राम मात्रा लें और इसे 200 मिली ग्राम पानी में उबालें। उबलते हुए पानी की मात्रा लगभग 50 मिली ग्राम बचे तब तक इसे उबालते रहें। इसके बाद इस काढ़े को ठंडा करें और दिन में 2 बार इसका सेवन करें। यह खांसी दूर करने का सबसे बेहतरीन तरीका हो सकता है।
3 कंटकारी के लाभ मिरगी के लिएमिरगी भी एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या होती है। लेकिन कटेरी के फायदे मिरगी का इलाज करने में प्रभावी होते हैं। इसके लिए आप ताजे भटकटैया के पत्तों का रस निकालें। इस रस 2 बूंद मात्रा को नियमित रूप से सुबह के समय अपने नथुनों में डालें। ऐसा करने से रोगी को मिरगी के दौरे आने की संभावना कम हो जाती है।
4 कंटकारी कटेरी के फायदे लीवर के लिएलीवर की सूजन यहां मौजूद बैक्टीरिया और संक्रमण के कारण हो सकती है। लेकिन आप अपने लीवर को स्वस्थ्य रखने के लिए कटेरी का इस्तेमाल कर सकते हैं। कटेरी लिवर के लिए टॉनिक का काम करती है। नियमित रूप से कटेरी के काढ़े का सेवन करने से लीवर में मौजूद संक्रमण और सूजन को कम किया जा सकता है।
5 कंटकारी के फायदे गर्भावस्था में
गर्भवती महिलाओं के लिए भी भटकटैया का उपयोग फायदेमंद होता है। गर्भावस्था के दौरान उल्टी और मतली को रोकने के लिए कटेरी पंचांग (5 ग्राम) और मुनक्का (5-6) लें और इसे पानी में उबालकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े का नियमित सेवन करने पर गर्भवती महिला को उल्टी और मतली से छुटकारा मिल सकता है। यह उनकी भूख को भी सुधारने का अच्छा तरीका है।
6 कंटकारी या भटकटैया के फायदे दांत दर्द मेंदांतों का दर्द भी एक गंभीर समस्या है। लेकिन आयुर्वेद में दांत के दर्द को दूर करने के लिए भटकटैया का उपयोग प्राचीन समय से किया जा रहा है। यदि आप भी दांत के दर्द से परेशान हैं तो भटकटैया के पत्तों के रस का उपयोग करें। कटेरी की ताजा पत्तियों को मसलकर रस निकालें। इस रस को दर्द प्रभावित दांतों में लगाएं। यह आपको दांत के दर्द से तुरंत ही राहत दिलाता है।
7 सफेद कंटकारी भटकटैया के उपयोग बालों के लिएयदि आप बाल झड़ने की समस्या से परेशान हैं तो भटकटैया का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह बालों को झड़ने और बालों में डैंड्रफ की समस्या को प्रभावी रूप से दूर कर सकता है। इसके लिए आप कटेरी के ताजा पत्तों का रस निकालें और इसे अपने बालों की जड़ों पर लगाएं। नियमित रूप से कुछ दिनों तक ऐसा करने से आपको लाभ मिल सकता है।
कंटकारी के नुकसानआमतौर पर यह गर्भावस्था के दौरान सुरक्षित माना जाता है लेकिन फिर भी उपयोग करने से पहले अपने स्वास्थ्य सलाहकार से सलाह लेना आवश्यक है। औषधीय गुणों के कारण कटेरी हमारी स्वास्थ्य समस्याओं के लिए फायदेमंद होती है। लेकिन अधिक मात्रा में इसका उपयोग करने पर यह हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी हो सकता है। पित्त विकारों वाले रोगी को इसका उपयोग सावधानी से करना चाहिए। गर्म तासीर होने के कारण यह उन लोगों के लिए नुकसान दायक हो सकती है। यदि आप किसी विशेष प्रकार की दवाओं का सेवन कर रहे हैं तो कटेरी का सेवन करने से पहले भी अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
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