31 जनवरी को है सकट चौथ व्रत, जानें शुभ मुहूर्त, पूजन विधि, देखें पूरी जानकारी
संकटों का नाश करने वाले गणेश संकष्टी चतुर्थी व्रत का पर्व रविवार को मनाया जाएगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सकट चौथ के दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही यह व्रत पूरा माना जाता है. इस दिन तिलकूट का प्रसाद बनाकर भगवान गणेश (Lord Ganesh) को भोग लगाया जाता है. इस दिन तिल के लड्डू भी प्रसाद में बनाए जाते हैं. आइये जानते हैं इस पर्व का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि...
व्रत तोड़ने के इन नियमों का भी करें पालन
सूर्यास्त के बाद संकष्टी चतुर्थी व्रत में चंद्रमा की पूजा करें. इसका बड़ा महत्व है.
आप पहले शहद, रोली, चंदन और दूध की ले लें.
इन सामग्रियों से चंद्रमा को अर्घ्य दें, तब व्रत तोड़ें.
संकष्टी चतुर्थी आज 8 बजे से कल शाम 6 बजे तक
आज 8 बजकर 24 मिनट से शुरू होगा संकष्टी चतुर्थी व्रत. जो 1 फरवरी, 2021 शाम 6 बजकर 24 मिनट तक
इस दिन है संकष्टी चतुर्थी
इस बार संकष्टी चतुर्थी 31 जनवरी (Sankashti Chaturthi 31 January) को है. इस दिन तिलकूट का प्रसाद बनाकर भगवान गणेश (Lord Ganesh) को भोग लगाया जाता है. इस दिन तिल के लड्डू भी प्रसाद में बनाए जाते हैं.
ऐसे करें पूजा
फल, फूल, रौली, मौली, अक्षत, पंचामृत आदि से श्री गणेश को स्नान कराके विधिवत तरीके से पूजा करें.
इस तरह से करें मंत्र का जाप
विधिवत तरीके से गणेश पूजा करने के बाद गणेश मंत्र 'ॐ गणेशाय नम:' अथवा 'ॐ गं गणपतये नम: का 108 बार अथवा एक माला करें.
गणेश भगवान को लगाएं भोग
श्री गणेश को फल, तिल से बनी वस्तुओं, लड्डू तथा मोदक का भोग लगाएं और प्रार्थना करें कि 'ॐ सिद्ध बुद्धि सहित महागणपति आपको नमस्कार है. नैवेद्य के रूप में मोदक व ऋतु फल आदि अर्पित है.'
गणेश जी के 12 नाम का जाप
सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्णक, लंबोदर, विकट, विघ्न-नाश, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन.
अर्घ्य अर्पित करने की विधि
पंडित शरद चंद्र मिश्र के अनुसार, तिथि की अधिष्ठात्री देवी तथा रोहिणीपति चंद्रमा को कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को गणेश-पूजन के पश्चात अर्घ्य प्रदान करना चाहिए. गणेश पुराण के अनुसार, चंद्रोदय काल में गणेश के लिए तीन, तिथि के लिए तीन और चंद्रमा के लिए सात अर्घ्य प्रदान करना चाहिए. इस व्रत में तृतीया तिथि से युक्त चतुर्थी तिथि ग्राह्य है. तृतीया के स्वामी गौरी माता और चतुर्थी के स्वामी श्रीगणेश जी हैं.
सकट चौथ व्रत पूजा विधि
1. सुबह स्नान ध्यान करके भगवान गणेश की पूजा करें
2. इसके बाद सूर्यास्त के बाद स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें
3. गणेश जी की मूर्ति के पास एक कलश में जल भर कर रखें
4. धूप-दीप, नैवेद्य, तिल, लड्डू, शकरकंद, अमरूद, गुड़ और घी अर्पित करें
5. तिलकूट का बकरा भी कहीं-कहीं बनाया जाता है
6. पूजन के बाद तिल से बने बकरे की गर्दन घर का कोई सदस्य काटता है
गणेश चतुर्थी पूजन विधि
पंडित राकेश पांडेय के अनुसार, सुबह स्नान के पश्चात व्रत का संकल्प करके दिन भर गणेशजी का स्मरण एवं भजन करें.चंद्रोदय होने से पूर्व गणेश मूर्ति या सुपाड़ी के द्वारा निर्मित सांकेतिक गणेश देवता को चौकी या पीढ़े पर स्थापित करें. इसके बाद षोडशोपचार विधि से भक्तिभाव से पूजन संपन्न करें. पुन: मोदक और गुड़ में बने हुए तिल के लड्डू का निवेश अर्पित करें. आचमन कराकर प्रदक्षिणा और नमस्कार करके पुष्पांजलि अर्पित करें. चंद्रोदय होने पर चंद्रमा को विशेषार्घ्य प्रदान करें.
संकष्टी चतुर्थी के दिन ऐसे दें चंद्रमा को अर्घ्य
सूर्यास्त के बाद संकष्टी चतुर्थी व्रत में चंद्रमा की पूजा का भी विशेष महत्व होता है. ऐसे में उन्हें अर्घ्य देने के बाद ही व्रत तोड़ें. इसके लिए आपको शहद, रोली, चंदन और दूध की जरूरत पड़ेगी. व्रत तोड़ने के बाद महिलाओं का शकरकंदी खाने की परंपरा भी है.
तिल का है बड़ा महत्व
सकट चौथ व्रत में तिल (Sesame) का भी बहुत महत्व है इसलिए जल में तिल मिलाकर भगवान गणेश को अर्घ्य दें और साथ ही तिल का दान भी करें और तिल का सेवन भी.
कंद मूल वाली चीजें न खाएं- वैसे तो सकट चौथ के दिन महिलाएं व्रत रखती हैं बावजूद इसके अगर आप फलाहार करने की सोच रही हों तो इस दिन जमीन के अंदर उगने वाले कंद मूल का सेवन नहीं करना चाहिए. यही कारण है संकष्टी चतुर्थी के दिन व्यक्ति को मूली, चुकंदर, गाजर, जिमीकंद, शकरकंद आदि का सेवन नहीं करना चाहिए. ऐसा करने से आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है.
सकट चौथ व्रत शुभ मुहूर्त-
सकट चौथ व्रत तिथि- जनवरी 31, 2021 (रविवार)
सकट चौथ के दिन चन्द्रोदय समय – 20:40
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ – जनवरी 31, 2021 को 20:24 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त – फरवरी 01, 2021 को 18:24 बजे।
चांद देखे बिना व्रत न खोलें जिस तरह करवा चौथ के व्रत के दिन चांद को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत खोला जाता है ठीक उसी तरह सकट चौथ व्रत के दिन भी चंद्रमा को अर्घ्य (Moon Arghya) देना बेहद जरूरी होता है. चांद को अर्घ्य दिए बिना व्रत पूर्ण नहीं माना जाता.
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