भूल से भी विवाहित महिलाओं को गले में इस प्रकार से मंगल सूत्र धारण नहीं करना चाहिए
हमारे हिन्दू परंपरा में स्त्रियाँ शादी के बाद बहुत सरे गहने धारण करती है और पूरा सोलह श्रृंगार करती है लेकिन मंगलसूत्र इन सब में से सबसे अहम् होता है ऐसा माना जाता है की ये विवाह के रीति रिवाजों का एक मुख्य हिस्सा है। हिन्दू शादीशुदा महिलाओं के लिए एक मंगलसूत्र जिसमें कुछ पीले-काले मोती और कई बार एक पैंडेंट के साथ भी एक धागे में पिरोया होता है, यह धागा किसी भी अन्य वस्तु से ज्यादा कीमत का माना जाता है। मंगलसूत्र की तुलना किसी अन्य आभूषण से नहीं की जा सकती। प्राचीन काल से मंगलसूत्र की बड़ी महिमा बताई गई है। मंगलसूत्र को विवाह का प्रतीक चिन्ह और सुहाग की निशानी माना जाता है। इसलिए विवाह के बाद सुहागन स्त्रियां इसे श्रद्धापूर्वक गले में धारण करती हैं।
विवाह के समय वर वधू को गले में मंगलसूत्र पहनाता है और इस रस्म के बिना विवाह को अधूरा माना जाता है विवाहित हिन्दू स्त्रियाँ इसे सबसे महत्वपूर्ण जेवर और अपने सुहाग की निशानी समझती हैं जिसे आजीवन पहना जाता है मंगलसूत्र को विवाहित महिलाओं का रक्षा कवच और सुहाग और सौभाग्य की निशानी माना गया है
ज्योतिष के अनुसार भी मंगलसूत्र मंगलकारक है और इसमें मौजूद सोना कुंडली में बृहस्पति ग्रह को मजबूत बनाता है जो खुशहाल दाम्पत्य जीवन का कारक ग्रह है। ऐसा भी बताया जाता है कि मंगलसूत्र में मौजूद काले मोती शनि, राहू, केतु, और मंगल ग्रह के दुष्प्रभाव से शादीशुदा जोड़े और उनके परिवार की रक्षा करते हैं। मंगलसूत्र को कभी भी गले से ना उतारने की मान्यता के पीछे भी एक कारण है। ऐसा कहा जाता है कि मंगलसूत्र का पीला सोना देवी पार्वती और काले मोती भगवान शिव का प्रतीक है, और यही कारण है कि मंगलसूत्र दाम्पत्य जीवन की सफलता में कारगर होता है।
s हमारे हिन्दू धर्म में एक सुहागिन महिला के लिए मंगलसूत्र का बहुत अधिक महत्व होता है. मंगलसूत्र सूत्र पति पत्नी के बीच मजबूत संबंध को दर्शाता है. दोस्तों यह परम्परा आज से ही नहीं बल्कि आदिकाल से चली आ रही है. हमारे हिन्दू धर्म में बिना मंगलसूत्र के विवाह संपंन्न नहीं होता है। दोस्तों ऐसे ही मंगलसूत्र से जुड़े अनेक महत्व है जिसके बारे में हर सुहागिन महिला को पता होना चाहिए मंगलसूत्र से जुडी असावधानियाँ न केवल उनके पति पर बल्कि महिला के परिवार में भी संकट ला सकती है।
1.शास्त्रों के अनुसार महिलाओ को कभी भी किसी दूसरी स्त्री का मंगलसूत्र धारण नहीं करना चाहिए और ना ही अपना मंगलसूत्र किसी अन्य स्त्री को कभी देना चाहिए ऐसा माना जाता है की ऐसा करने से पति की आयु कम होती है साथ ही पति पत्नी के बीच में प्यार भी कम हो जाता है।
2.जिस तरह एक सुहागिन महिला के जिंदगी में सिंदूर तथा बिछिया का महत्व होता है उससे कहि अधिक महत्व महिला के मंगलसूत्र का होता है इस स्त्रियाँ अपने पति के लम्बी उम्र के लिए धारण करती है इसके साथ ही यह उनके वैवाहिक जीवन को बुरी नजर से बचाता है।
3.दोस्तों मंगल सूत्र में जो काले मोती है क्या आप ने कभी सोचा है की ऐसा क्यों होता है हर मंगलसूत्र काले दानो एवं सोने के साथ निर्मित होता है काला रंग बुरी शक्तियों के साथ बुरी ऊर्जा को दूर रखने के लिए होता है यही कारण है की मंगलसूत्र का निर्माण उन काले दानो के साथ होता है जो आपको सदैव बुरी नजर से बचाता है।
4.शास्त्रों में यह बताया गया है की विवाह के समय जब स्त्री का पति उसे मंगलसूत्र पहनता है उसके बाद से उसे मंगलसूत्र उतारना नही चाहिए यह सिर्फ उसी दशा में आप अपने गले से उतार सकते हो जब कोई अनहोनी घटना घटित हुई हो। यदि मंगल सूत्र कभी किसी जरूरी कारण से उतरना हो तो आप अपने गले में कोई छोटा सा काला धागा धारण कर ले जो महिला अपने पति के नाम का मंगलसूत्र उम्रभर पहनती है।
5.जैसा की दोस्तों ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है की सोना हर मंगलसूत्र में भले ही थोड़ा सा पर किसी न किसी रूप में होना चाहिए सोना गुरु ग्रह के प्रभावों को काम करता है। यह वैवाहिक जीवन में सुख समृद्धि तथा प्यार को बढ़ाता है। सोना धारण करने से शरीर में सकरात्मक ऊर्जा का संचार होता है जिससे हमारे जीवन सुख से बीतता है।
6. हर स्त्री को मंगलसूत्र विवाह पर पति द्वारा पहनाया जाता है जिसे वह स्त्री पति की मृत्यु पर ही उतार कर पति को अर्पित करती है। उसके पूर्व किसी भी परिस्थिति में मंगलसूत्र को उतारना मना है। इसका खोना या टूटना अपशकुन माना गया है।
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