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सुयोग्य व सुंदर पत्नी पाने के लिए करें इस अप्सरा की पूजा और इन देवी के मंत्र का जाप

सुयोग्य व सुंदर पत्नी पाने के लिए करें इस अप्सरा की पूजा और इन देवी के मंत्र का जाप

रावण की यूं तो दो पत्नियां थीं, लेकिन कहीं-कहीं तीसरी पत्नी का जिक्र भी होता है लेकिन उसका नाम अज्ञात है। रावण की पहली पत्नी का हिंदू धर्म के अनुसार मनुष्य के जीवन में 16 महत्वपूर्ण संस्कार बताए गए हैं। जिनमें सबसे महत्वपूर्ण संस्कार है विवाह संस्कार। विवाह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके बाद लड़के-लड़कियों के साछ-साथ दो परिवारों का जीवन बदल जाता है। इसी वजह से विवाह से पहले कई पूछ-परख होती है। वहीं विवाह से पहले हम सब अच्छे जीवनसाथी की तलाश करते हैं। अधिकांश कुंवारे लड़के चाहते हैं कि उनकी पत्नी सुंदर हो। इस इच्छा की पूर्ति के लिए शास्त्रों में कई उपाय बताए गए हैं। जिन्हें करके हम अपने जीवनसाथी की तलाश बेहतर तरीके से कर सकते हैं।

हिंदू धर्म ग्रन्थों के अनुसार दुर्गा मां की पूजा करने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी हो जाती है। वैसे तो माता दुर्गा से संबंधित अनेक ग्रंथों में दुर्गासप्तशती का स्थान महत्वपूर्ण है। जो व्यक्ति विधि-विधान से दुर्गासप्तशती का पाठ करता है, उसके बुरे से बुरे दिन दूर हो जाते हैं और हर मनोकामना पूरी होती है। ऐसे में अगर आप सुंदर और सुशील पत्नी चाहते हैं, तो दुर्गासप्तशती में 1 मंत्र बताया गया है। रोज इस मंत्र का जाप करने से आपकी इच्छा पूरी हो सकती है।

इस मंत्र का करें जाप

पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानु सारिणीम्।
तारिणींदुर्गसं सारसागरस्य कुलोभ्दवाम्।।

इस तरीके से करें मंत्र का जाप

सुबह जल्दी नहाकर, साफ वस्त्र पहनकर देवी दुर्गा की पूजा करें। देवी दुर्गा की मूर्ति या चित्र के सामने आसन लगाकर रुद्राक्ष की माला लेकर इस मंत्र का जाप करें। प्रतिदिन पांच माला जाप करने से आपकी इच्छा पूरी हो सकती है। याद रहे के आप जिस आसन का उपयोग करें वह आसन कुश का हो। रोज एक ही समय पर, एक ही आसन पर बैठकर और एक ही माला से मंत्र जाप करें। ऐसा करने से मंत्र जल्दी ही सिद्ध हो सकता है।

इस अप्सरा की करें पूजा

शास्त्रों में अलग-अलग इच्छाओं की पूर्ति के लिए अलग-अलग देवी-देवताओं की पूजा करने का विधान है। जिन युवाओं की इच्छा है कि उन्हें बहुत सुंदर पत्नी मिले, उन्हें अप्सरा उर्वशी की पूजा करनी चाहिए। हिन्दू धर्म ग्रंथों में कई स्थानों पर अप्सरा उर्वशी का उल्लेख मिलता है। देवराज इंद्र के स्वर्ग में कई अप्सराएं बताई गई हैं इन्हीं में से उर्वशी का महत्वपूर्ण स्थान है। ऐसा माना जाता है कि उर्वशी ने अपनी सुंदरता से पलभर में ही बड़े-बड़े ऋषि-मुनियों और तपस्वियों की तपस्या को भंग की है। इसी वजह से जो व्यक्ति इस अप्सरा की पूजा करता है उसे सुंदर पत्नी की प्राप्ति होती है।अप्सरा उर्वशी की पूजा विधिवत तरीके से होनी चाहिए। इसके लिए व्यक्ति को किसी शुभ मुहूर्त का किसी विशेष दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त हो जाए। 

इसके बाद घर में किसी शांत एवं पवित्र स्थान की दीवार पर अप्सरा उर्वशी का चित्र बनाएं। चित्र काल्पनिक रूप से किसी स्त्री के आकार का बनाया जाना चाहिए। इसके बाद उस चित्र को उर्वशी मानकर उसका पूजन करें। धूप-दीप, ध्यान करें। हार-फूल चढ़ाएं, प्रसाद अर्पित करें। साथ ही कामना करें कि पूजा करने वाले व्यक्ति को सुंदर और सर्वगुण संपन्न पत्नी प्राप्त हो जाए। इस पूजा से व्यक्ति की सुंदर पत्नी प्राप्त होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।नाम मंदोदरी था जोकि राक्षसराज मयासुर की पुत्री थीं। दूसरी का नाम धन्यमालिनी था और तीसरी का नाम अज्ञात है। ऐसा भी कहा जाता है कि रावण ने उसकी हत्या कर दी थी। रावण ने अपनी पत्नी की बड़ी बहन माया पर भी वासनायुक्त नजर रखी थी। इसके अलावा रावण ने विष्णु भक्त तपस्विनी वेदवती का शील भंग करने का प्रयास किया था जिसके चलते उन्होंने अपनी देह त्याग दी और रावण को शाप दिया कि एक स्त्री के कारण ही तेरी मृत्यु होगी।

मान्यता अनुसार उसी युवती ने सीता के रूप में जन्म लिया था। रावण और रंभा : वाल्मीकि रामायण के अनुसार विश्व विजय करने के लिए जब रावण स्वर्ग लोक पहुंचा तो उसे वहां रंभा नाम की अप्सरा दिखाई दी। कामातुर होकर उसने रंभा को पकड़ लिया। तब अप्सरा रंभा ने कहा कि आप मुझे इस तरह से स्पर्श न करें, मैं आपके बड़े भाई कुबेर के बेटे नलकुबेर के लिए आरक्षित हूं। इसलिए मैं आपकी पुत्रवधू के समान हूं। लेकिन रावण ने उसकी बात नहीं मानी और रंभा से दुराचार किया।

यह बात जब नलकुबेर को पता चली तो उसने रावण को शाप दिया कि आज के बाद रावण बिना किसी स्त्री की इच्छा के उसको स्पर्श नहीं कर पाएगा और यदि करेगा तो उसका मस्तक सौ टुकड़ों में बंट जाएगा। हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार रंभा तीज व्रत (रम्भा तृतीया व्रत) शीघ्र फलदायी माना जाता है। रंभा तृतीया व्रत ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया को किया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने सुहाग की लंबी उम्र, बुद्धिमान संतान पाने के लिए यह व्रत रखती है। कुंआरी कन्याएं यह व्रत अच्छे वर की कामना से करती हैं।

वर्ष 2021 में यह व्रत 13 जून 2021, रविवार को मनाया जा रहा है। रंभा तृतीया व्रत विशेषत: महिलाओं के लिए है। रंभा तृतीया को यह नाम इसलिए मिला, क्योंकि रंभा ने इसे सौभाग्य के लिए किया था। कैसे और क्यों करें यह व्रत- * रंभा तृतीया व्रत के लिए ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया के दिन प्रात:काल दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करके पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें। * भगवान सूर्यदेव के लिए दीपक प्रज्वलित करें। * इस दिन विवाहित स्त्रियां पूजन में गेहूं, अनाज और फूल से लक्ष्मीजी की पूजा करती हैं। * इस दिन लक्ष्मीजी तथा माता सती को प्रसन्न करने के लिए पूरे विधि-विधान से पूजन किया जाता है। इस दिन अप्सरा रंभा की पूजा की जाती है। हिन्दू मान्यता के अनुसार सागर मंथन से उत्पन्न हुए 14 रत्नों में से एक रंभा भी थीं। रंभा बेहद सुंदर थी। कई स्थानों पर विवाहित स्त्रियां चूड़ियों के जोड़े की पूजा करती हैं, जिसे रंभा (अप्सरा) और देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। * पूजन के समय ॐ महाकाल्यै नम:, ॐ महालक्ष्म्यै नम:, ॐ महासरस्वत्यै नम: आदि मंत्रों का किया जाता है। रंभा तृतीया का व्रत शिव-पार्वतीजी की कृपा पाने, गणेश जी जैसी बुद्धिमान संतान तथा अपने सुहाग की रक्षा के लिए किया जाता है। रंभा तीज के शुभ मुहूर्त इस वर्ष तृतीया तिथि का आरंभ 12 जून, शनिवार को रात्रि 20.19 मिनट से हो रहा है तथा 13 जून, रविवार को रात्रि 21.42 मिनट पर तृतीया तिथि का समापन होगा।

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