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हिमाचल के सरकारी कर्मचारियों की सरकार को चेतावनी, पुरानी पेंशन बहाल नहीं की तो फरवरी से होगा आंदोलन

हिमाचल के सरकारी कर्मचारियों की सरकार को चेतावनी, पुरानी पेंशन बहाल नहीं की तो फरवरी से होगा आंदोलन

हिमाचल प्रदेश में एक लाख से ज्यादा सरकारी कर्मचारी सरकार से नाराज चल रहे हैं. पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) की बहाली की मांग कर रहे कर्मचारी सरकार के रवैए से खासे नाराज हैं. साल 2003 के बाद भर्ती हुए इन कर्मचारियों ने नई पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ के नाम से एक संगठन बनाया है.

इस संगठन ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर सरकार फरवरी 2022 तक पुरानी पेंशन स्कीम बहाल नहीं करती तो पूरे बजट सत्र (‌Budget Session) के दौरान शिमला में धरने पर बैठेंगे और तब तक धरना खत्म नहीं करेंगे जब तक कि सरकार मांग मान नहीं लेती.

शिमला में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान नई पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष प्रदीप ठाकुर ने ये चेतावनी दी. बता दें कि बीते शीतकालीन सत्र के दौरान महासंघ ने धर्मशाला में विशाल रैली की थी, उस दौरान प्रदेश सरकार ने इनकी मांगों पर कमेटी गठित करने का आश्वासन दिया था, लेकिन वो कमेटी अब तक गठित नही हुई है.
प्रदीप ठाकुर ने कहा कि सरकार को कमेटी का गठन करने के लिए 31 दिसंबर तक का समय दिया गया है और कमेटी को अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए 31 जनवरी 2022 तक का समय दिया गया है. उन्होंने कहा कि एक जनवरी के बाद सभी विभागों के कर्मचारी अपने-अपने विभागों में गेट मीटिंग करेंगे. फरवरी माह में सरकार अगर पुरानी पेंशन को बहाल नहीं करती तो बड़े आंदोलन की रणनीति बनाई जाएगी. इसके तहत बजट सत्र के दौरान विधानसभा का घेराव किया जाएगा, उसके बाद अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया जाएगा.

पेंशन पर कितना खर्च आर्थिक बोझ के सवाल पर प्रदीप ठाकुर ने कहा कि पुरानी पेंशन बहाल होने पर सालाना 500 करोड़ रू. खर्च होगा, सरकार हर साल अपना और कर्मचारियों का 1200 करोड़ रुपये एनएसडीएल को देती है. ऐसे में सरकार के 700 करोड़ रुपये बचेंगे, जो फायदे का सौदा है.

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