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पौष मास का अंतिम दिन:17 जनवरी को सोमवार और पूर्णिमा का योग, नदी में स्नान के बाद करना चाहिए दान-पुण्य

सोमवार, 17 जनवरी को पौष मास की अंतिम तिथि पूर्णिमा है। इसे शाकंभरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन माघ मास के स्नान शुरू हो जाएगा। सोमवार और पूर्णिमा के योग में शिव पूजा और चंद्र पूजा जरूर करें।  उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार पौष मास की पूर्णिमा से माघ मास के स्नान शुरू होंगे। इस दिन देशभर की सभी पवित्र नदियों के घाटों पर भक्त स्नान के लिए पहुंचेंगे। नदी में स्नान के बाद जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करें। मान्यता है कि इस पूर्णिमा पर किए गए दान-पुण्य और शुभ काम से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।  सोमवार को पूर्णिमा होने से इस दिन शिव जी की विशेष पूजा जरूर करें। शिवलिंग पर तांबे के लोटे जल चढ़ाएं। जल पतली धारा के साथ ही जल चढ़ाएं और ऊँ नम: शिवाय नम: मंत्र का जाप करें। चांदी के लोटे से दूध शिवलिंग पर चढ़ाएं। पंचामृत अर्पित करें और फिर शुद्ध जल चढ़ाएं। चंदन का तिलक करें। हार-फूल से शिवलिंग का श्रृंगार करें। पूजन सामग्री अर्पित करें।  मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाएं। आरती करें। पूजा में हुई जानी-अनजानी भूल के लिए क्षमा मांगें। पूजा के बाद अन्य भक्तों को प्रसाद बांटें और खुद भी ग्रहण करें।  पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़ने और सुनने की पुरानी मान्यता है। पूर्णिमा पर चंद्रदेव की पूजा करें। सूर्यास्त के बाद चंद्र उदय होने पर चांदी के लोटे से चंद्र को अर्घ्य अर्पित करें और सों सोमाय नम: मंत्र का जाप करें। किसी जरूरतमंद व्यक्ति को कंबल और अनाज का दान करें। किसी गौशाला में धन और हरी घास दान करें।

सोमवार, 17 जनवरी को पौष मास की अंतिम तिथि पूर्णिमा है। इसे शाकंभरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन माघ मास के स्नान शुरू हो जाएगा। सोमवार और पूर्णिमा के योग में शिव पूजा और चंद्र पूजा जरूर करें।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार पौष मास की पूर्णिमा से माघ मास के स्नान शुरू होंगे। इस दिन देशभर की सभी पवित्र नदियों के घाटों पर भक्त स्नान के लिए पहुंचेंगे। नदी में स्नान के बाद जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करें। मान्यता है कि इस पूर्णिमा पर किए गए दान-पुण्य और शुभ काम से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

सोमवार को पूर्णिमा होने से इस दिन शिव जी की विशेष पूजा जरूर करें। शिवलिंग पर तांबे के लोटे जल चढ़ाएं। जल पतली धारा के साथ ही जल चढ़ाएं और ऊँ नम: शिवाय नम: मंत्र का जाप करें। चांदी के लोटे से दूध शिवलिंग पर चढ़ाएं। पंचामृत अर्पित करें और फिर शुद्ध जल चढ़ाएं। चंदन का तिलक करें। हार-फूल से शिवलिंग का श्रृंगार करें। पूजन सामग्री अर्पित करें।

मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाएं। आरती करें। पूजा में हुई जानी-अनजानी भूल के लिए क्षमा मांगें। पूजा के बाद अन्य भक्तों को प्रसाद बांटें और खुद भी ग्रहण करें।

पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़ने और सुनने की पुरानी मान्यता है। पूर्णिमा पर चंद्रदेव की पूजा करें। सूर्यास्त के बाद चंद्र उदय होने पर चांदी के लोटे से चंद्र को अर्घ्य अर्पित करें और सों सोमाय नम: मंत्र का जाप करें। किसी जरूरतमंद व्यक्ति को कंबल और अनाज का दान करें। किसी गौशाला में धन और हरी घास दान करें।

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