पाकिस्तान में हिंदू महिला कस्तूरी कई महिलाओं के लिए बनी मिसाल
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के हालात से हर कोई वाकिफ है. कट्टरपंथी देशों में शामिल पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ काफी बुरा सुलूक किया जाता है. इन सबके बावजूद यहां एक हिंदू लड़की ने बड़ी अफसर बनकर मिसाल कायम की है.
दरअसल पाकिस्तान में हिंदू महिला डॉक्टर सना रामचंद गुलवानी ने इतिहास रच दिया है. वह सेंट्रल सुपीरियर सर्विसेस (CSS) का एग्जाम पास करने के बाद पहली हिंदू महिला सिविल सेवक बनने जा रही है. हालांकि सना ने ये परीक्षा मई में ही पास कर ली थी लेकिन उनकी नियुक्ति अब कंफर्म हो पाई है.
सना ने पहले प्रयास में क्लियर की CSS परीक्षा
26 वर्षीय सना ने अपने पहले प्रयास में देश की शीर्ष सार्वजनिक सेवा सेंट्रल सुपीरियर सर्विसेज (सीएसएस) परीक्षा पास की और पाकिस्तान प्रशासनिक सेवा (पीएएस) में सिंध की ग्रामीण सीट पर एक स्थान हासिल किया. इस परीक्षा को पाकिस्तान में सबसे कठिन प्रतियोगी परीक्षाओं में से एक माना जाता है. गौरतलब है कि जैसे भारत में संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा की तर्ज पर प्रशासनिक सेवाओं में नियुक्ति मिलती है, ठीक उसी तरह पाकिस्तान में सीएसएस परीक्षा के परिणाम के आधार पर प्रशासनिक सेवाओं में नियुक्तियां की जाती हैं.
ट्विटर पर पोस्ट कर जाहिर की खुशी
सना ने अपना कामयाबी पर 7 मई को ट्विटर पर भी एक पोस्ट की थी जिसमें खुशी जाहिर कहते हुए उन्होंने लिखा था, “वाहेगुरु जी का खालसा वाहेगुरु जी की फतेहमुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि अल्लाह सर्वशक्तिमान की कृपा से, मैंने सीएसएस 2020 को क्लियर कर लिया है और मुझे पीएएस को आवंटित कर दिया है. इसा सारा श्रेय मेरे माता-पिता को जाता है.”
सना ने पहले यूरोलॉजिस्ट के तौर पर शुरू किया था करियर
मूल रूप से सना शिकारपुर की रहने वाली हैं. सिंध प्रांत का ये जिला पाकिस्तान का सबसे ज्यादा हिंदू आबादी वाला इलाका है. पहले सना की अपने करियर को लेकर अलग-अलग योजनाएं थीं. समाचार रिपोर्टों के अनुसार, उनके माता-पिता भी चाहते थे कि वह मेडिसिन की पढ़ाई करें. 2016 में, सना ने कथित तौर पर शहीद मोहतरमा बेनजीर भुट्टो मेडिकल यूनिवर्सिटी से बैचलर ऑफ मेडिसिन, बैचलर ऑफ सर्जरी (एमबीबीएस) की डिग्री के साथ स्नातक किया. उन्होंने यूरोलॉजिस्ट के रूप में अपनी पढ़ाई की और बाद में संघीय लोक सेवा आयोग में दाखिला लिया.
इस घटना की वजह से सिविल सर्विस में करियर बनाने का लिया फैसला
टाइम्स ऑफ इंडिया के हवाले से सना कहती है, “जब मैंने अपना प्रशिक्षण शुरू किया, तो मुझे शिकारपुर जिले के एक छोटे से शहर लखी के तालुका अस्पताल में एक महिला चिकित्सा अधिकारी के रूप में कुछ महीनों के लिए तैनात किया गया था. ग्रामीण सिंध में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा की स्थिति बेहद खराब है.मैं हर दिन मरीजों को देखती थी, लेकिन उनके पास न तो उन्हें देने के लिए दवा थी, न ही इलाज के लिए उन्हें भर्ती करने की क्षमता थी. टेटनस और एंटी-रेबीज शॉट्स जैसी बुनियादी आपातकालीन दवाओं की भी कमी थी.”उसी रिपोर्ट में, यह उल्लेख किया गया है कि 2019 में जब शिकारपुर के डिप्टी कमिश्नर ने अस्पताल का दौरा किया, जहां वह काम कर रही थी, सना ने देखा कि अधिकारी का सभी सम्मान करते थे, और लोग काम करने और अस्पताल में कमियों को दूर करने के लिए तैयार थे. तभी उन्होंने सिविल सर्विस में करियर बनाने और समाज में बदलाव लाने का फैसला किया.”
CSS परीक्षा पास करने वाले 221 उम्मीदवारों में सना अकेली हिंदू लड़की है
सना CSS परीक्षा पास करने वाले 221 उम्मीदवारों की लिस्ट में शामिल हैं. इस लिस्ट में 79 महिलाएं शामिल हैं जिनमें सना अकेली हिंदू लड़की है. गौरतलब है कि सना ने पहले ही अटेम्प्ट में परीक्षा पास की है. इस साल इस परीक्षा में महज 2 प्रतिशत उम्मीदवार ही सफल हुए थे. वहीं अब सना की पहली नियुक्ति असिस्टेंट कमिश्नर के तौर पर हो सकती है. सना अपनी इस कामयाबी से काफी खुश हैं.
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