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योगिनी एकादशी 24 जून को, समस्त पापों का नाश करने वाले इस एकादशी व्रत में जरूर पढ़ें ये कथा

योगिनी एकादशी 24 जून को, समस्त पापों का नाश करने वाले इस एकादशी व्रत में जरूर पढ़ें ये कथा

हर साल आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को योगिनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। साल भर में पड़ने वाली 24 एकादशियों में से योगिनी एकादशी को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस साल 2022 में योगिनी एकादशी का व्रत 24 जून को रखा जाएगा। शास्त्रों के अनुसार योगिनी एकादशी का व्रत समस्त पापों का नाश करने के साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि में वृद्धि करता है। वहीं मान्यता है कि योगिनी एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति को पूजा-पाठ के साथ ही व्रत कथा अवश्य पढ़नी चाहिए तभी व्रत का संपूर्ण फल मिलता है। 
तो आइए जानते हैं योगिनी एकादशी व्रत कथा..

Yogini Ekadashi Vrat Katha: योगिनी एकादशी 24 जून को, समस्त पापों का नाश करने वाले इस एकादशी व्रत में जरूर पढ़ें ये कथा

योगिनी एकादशी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, स्वर्ग लोक की एक नगरी अलकापुरी में कुबेर नामक राजा रहता था। वह भोलेनाथ का बहुत बड़ा भक्त था और रोज उनकी पूजा किया करता था। राजा कुबेर की पूजा के लिए हेम नाम का माली फूल लाया करता था। लेकिन एक दिन माली अपनी सुंदर पत्नी विशालाक्षी के साथ हास्य-विनोद और रमण करने में मग्न हो गया और फूल देने नहीं आया।

दोपहर तक माली का इंतजार करने के बाद राजा ने अपने सेवकों को माली के ना आने का कारण पता लगाने के लिए भेजा। तब सेवकों ने आकर बताया कि माली अपनी पत्नी के साथ कामासक्त है। इस बात से क्रोधित होकर राजा कुबेर ने माली को बुलाया और कहा कि, 'तूने मेरे पूजनीय भगवान शिव जी का अनादर किया है इसलिए मैं तुझे श्राप देता हूं कि तू स्त्री का वियोग सहना पड़ेगा और साथ ही मृत्युलोक में जाकर कोढ़ी हो जाएगा।'

राजा का इतना कहना था कि माली श्राप के कारण स्वर्ग लोक से पृथ्वी पर आ गिरा। साथ ही पृथ्वी पर आकर वह कोढ़ी हो गया। हेम माली बिना खाए पिए भिखारियों की तरह जीवन जीने लगा। दूसरी तरफ उसे अपनी पत्नी की याद भी सताने लगी लेकिन श्राप के कारण उसके वश में कुछ भी नहीं था। एक दिन ऐसे ही घूमते-घूमते माली मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में गया। ऋषि ने माली को ऐसी दशा में देखकर उससे उसकी इस हालत के बारे में पूछा। तब माली ने ऋषि को श्राप के बारे में बताया।

पूरी बात जानने के बाद मार्कण्डेय ऋषि ने हेम माली को योगिनी एकादशी व्रत करने की सलाह दी। तब माली ने ऋषि की आज्ञा से विधि-विधान से आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष में की योगिनी एकादशी का व्रत किया। तब इस व्रत के प्रभाव से माली अपने श्राप से मुक्त होकर दोबारा स्वर्ग लोक की नगरी अलकापुरी में जाकर अपनी पत्नी के साथ खुशी से रहने लगा था। वहीं उसका कोढ़ भी दूर हो गया।

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