इन 3 कोच के युग में चमकी भारतीय क्रिकेट टीम की किस्मत, लिस्ट में एक भी भारतीय शामिल नहीं!
भारतीय क्रिकेट टीम की सफलता में भी कोचों का अहम योगदान रहा है. उन्होंने भारतीय क्रिकेट की नित-नई उचाईयों तक पहुंचाने के लिए खिलाड़ियों के साथ काफी मेहनत की है.पहली बार साल 1992 में भारतीय क्रिकेट टीम (Indian Team Coaches) के कोच की नियुक्ति की गई. आइये जानते हैं कि उन तीन प्रसिद्ध कोच (Indian Team Coaches) के बारे में जिन्होंने विश्व क्रिकेट में भारत को नई पहचान देने का काम किया.
1. Indian Team Coaches: गैरी कस्टर्न टीम इंडिया को 2007 विश्व कप में अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा था. उस समय ग्रेग चैपल भारतीय टीम के कोच थे. टीम इंडिया की हार के बाद चैपल का करियर भी खतरे में पड़ा था. इसी दौरान गैरी कर्स्टन (Gary Kirsten) की भारतीय टीम में एंट्री हुई. वह भारतीय कप्तान एम.एस. धोनी के हर समय कूल रहने की अपनी काबिलियत से हैरान थे. धोनी-कर्स्टन की जोड़ी का ही कमाल था कि साल 2009 में भारतीय टीम ने टेस्ट में नंबर 1 रैंकिंग हासिल की.
उन्होंने हमेशा सीनियर और जूनियर दोनों खिलाड़ियों के साथ एक अच्छा रिश्ता बनाए रखा और एक अच्छी संतुलित विनिंग टीम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्हें अब तक के सबसे महान भारतीय कोच के रूप में कई लोगों द्वारा सराहा गया. साल 2011 में भारत ने उनके नेतृत्व में 28 साल बाद ICC ODI विश्व कप जीता. इसके बाद कर्स्टन ने भारतीय टीम के कोच के पद से इस्तीफा दे दिया. बता दें कि उन्हें ‘गुरु’ गैरी के रूप में भी जाना जाता है.
2. Indian Team Coaches: जॉन राइट
जॉन राइट (John Wright) भारत के पहले विदेशी कोच थे. साल 2000 में उन्हें भारतीय क्रिकेट टीम का कोच नियुक्त किया गया था. टीम इंडिया के कोच के रूप में उनका कार्यकाल सफल रहा. उनके नेतृत्व में भारतीय टीम ने कोलकाता में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2001 की टेस्ट सीरीज जीती. उस दौरान भारतीय टीम के कप्तान सौरव गांगुली थे. इस विशेष जीत ने टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया के लगातार 16 मैच जीतने के रिकॉर्ड पर विराम लगा दिया.
राइट ने साल 2000 से 2005 तक भारतीय टीम के कोच रहे. उनकी कोचिंग में टीम में काफी सुधार हुआ. उनके कार्यकाल में भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज़ 2-1 से जीत दर्ज की. साल 2003-04 में, कट्टर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ भारत ने एक श्रृंखला जीती. वहीं, दक्षिण अफ्रीका में 2003 के एकदिवसीय विश्व कप में भारत ने फाइनल तक का सफर तय किया.
3. Indian Team Coaches: डंकन फ्लेचर
जिम्बाब्वे के पूर्व क्रिकेटर डंकन फ्लेचर (Duncan Fletcher) को 27 अप्रैल, 2011 को भारतीय टीम के कोच के रूप में नियुक्त किया गया था. फ्लेचर के नेतृत्व में भारतीय टीम ने 24 साल बाद इंग्लैंड में अपनी पहली द्विपक्षीय श्रृंखला जीती. साल 2011-2012 में हुए टेस्ट मैच भारत के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं थे. इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया दोनों से भारत को हार का सामना करना पड़ा. भारत ने 2012-13 सीज़न में एकदिवसीय और टेस्ट क्रिकेट में एक अहम बदलाव किया.
5 मैचों की बॉर्डर-गावस्कर टेस्ट सीरीज़ में ऑस्ट्रेलिया को ‘ब्राउनवॉश’ करने के बाद, भारत ने 2013 में हर एकदिवसीय टूर्नामेंट जीता, जिसमें आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी, दो सेलकॉन मोबाइल कप और ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाफ सात मैचों की घरेलू श्रृंखला शामिल थी. कप्तान एम.एस. धोनी और कोच फ्लेचर ने भारत को ICC ODI टीम रैंकिंग में नंबर 1 स्थान पर पहुंचा दिया.
साल 2014 में कोच के रूप में फ्लेचर का करियर डगमगा गया. इसका मुख्या कारण था भारत को इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया दोनों से विदेशी दौरों पर मिलने वाली हार. एकदिवसीय श्रृंखला में भी इन टीमों से शर्मनाक हार के बाद, भारत की साल 2015 के एकदिवसीय विश्व कप में अच्छा प्रदर्शन करने की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी. ठीक ऐसा ही हुआ विश्व कप 2015 के सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत को हार का मुँह देखना पड़ा. लिहाजा, फ्लेचर ने इस हार के साथ ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया.
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