इस नवरात्रि बच्चों को जरूर घुमाएं माता के ये प्रसिद्द मंदिर
हिंदु धर्म में नवरात्र का बहुत महत्व है। खासतौर पर नॉर्थ, ईस्ट और वेस्ट भारत में चैत्र नवरात्र बहुत धूमधाम से मनाए जाते हैं। इन नवरात्र में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है। नौ दिन मनाए जाने वाले इस त्योहार में बहुत से भक्त देश में मौजूद अलग-अलग देवी मंदिरों के दर्शन करने जाते हैं। अगर इस बार आप भी नवरात्र पर मां दुर्गा के मंदिर में जा कर दर्शन करने का प्लान बना रहे हैं तो हम आपको देवी दुर्गा के कुछ खास मंदिरों के बारे में आज बताने जा रहे हैं, जो न केवल धार्मिक महत्व रखते हैं बल्कि आपके लिए एक अच्छी ट्रैवल डेस्टीनेशन भी साबित हो सकते हैं।
करणी माता मंदिर, बीकानेर: राजस्थान में मौजूद किले और मंदिर देश भर में मशहूर हैं। इन्हीं मंदिरों में एक मंदिर करणी माता का है। यह मंदिर कई कारणों फेमस है। दरअसल इस मंदिर को चूहे वाला मंदिर भी कहा जाता है क्यों कि यहां पर ढेरों काले चूहे हैं। इन चूहों का मंदिर में होना शुभ माना जाता है।
वैष्णों देवी माता मंदिर, जम्मू: हिंदू धर्म में जितनी भी देवियों को पूजा जाता है उनमें से मां वैष्णों देवी का महत्व सबसे ज्यादा है। अपनी जीवन काल में हर कोई एक बार वैष्णों देवी मंदिर के दर्शन करना जरूर जाना चाहता है। कई लोग तो इस मंदिर में हर साल मां के दर्शन करने आते हैं मगर नवरात्र के समय इस मंदिर में भक्तों की भीड़ का नजारा ही कुछ और होता है।
दक्षिणेश्वर माता का मंदिर, कोलकाता: देश भर में मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा होती रहती है। बंगाल की राजधानी कोलकाता में भी एक ऐसा ही मंदिर मौजूद है। यहां मां काली का सबसे बड़ा मंदिर दक्षिणेश्वर काली मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। कोलकाता के लोगों को मानना है कि कोलकाता माता काली का निवास स्थान है और उन्हीं के नाम पर इस जगह का नाम कोलकाता पड़ा हैं।
दंतेश्वरी माता का मंदिर, जगदलपुर: देवी सती की 51 शक्तिपीठ में से एक जगदलपुर में भी है। यहां मां दंतेशवरी का मंदिर बना है। लोग मानते हैं यहां माता सती के दांत गिरे थे इसलिए इस स्थान पर दंतेश्वरी देवी की पूजा की जाती है।
कामाख्या देवी मंदिर, गुवाहाटी: असम में मौजूद गुवाहाटी शहर जहां एक तरफ अपनी प्राकृतिक खूबसूरती की वजह से पहचाना जाता है वहीं इस शहर में मौजूद कामाख्या देवी का मंदिर भी काफी प्रसिद्ध है। यहां मां भगवती की योनि की पूजा होती है। माना जाता है जब भगवान विष्णु ने देवी शक्ति के शव को चक्र से काटा था तब इस स्थान पर उनकी योनी कट कर गिर गई थी तब से यहां एक योनी के रूप में बने कुंड की पूजा होती है।
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