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होम्योपैथी में पित्त की थैली में पथरी का इलाज \ Homeopathy Mein Pitt ki thaili mein pathri ka ilaj

Homeopathy Mein Pitt ki thaili mein pathri ka ilaj
Homeopathy Mein Pitt ki thaili mein pathri ka ilaj


होम्योपैथी में पित्त की थैली में पथरी का इलाज – स्टोन की समस्या आज के समय में आम समस्या हो गयी है. दिन भर ऑफिस में बैठे रहने तथा कम पानी पीने की वजह पथरी की समस्या उत्पन्न होती है. ये पथरी शरीर के दो अंगों में सबसे ज्यादा बनता है. पहला पीत्ताशय में और दूसरा किडनी में.

पित्त की पथरी यानि गॉलस्टोन छोटे पत्थर होते हैं, जो पित्ताशय की थैली में बनते हैं. पित्त की पथरी लीवर के नीचे होती है. पित्त की पथरी बहुत दर्दनाक हो सकता है, यदि इसका समय पर इलाज नहीं किया गया तो इसे निकालने के लिए एक ऑपरेशन की आवश्यकता हो सकती है.

आज के इस पोस्ट हम लोग पित्ताशय की पथरी के बारे में जानेंगे. पित्त की पथरी होने के कारण, लक्षण तथा होमियोपैथी में इसका इलाज क्या है? इन सब की जानकारी प्राप्त करेंगे. तो चलिए होम्योपैथी में पित्त की थैली में पथरी का इलाज के बारे में जानते हैं. लेकिन उससे पहले पित्त में पथरी कैसे बनता है? उसका कारण और लक्षण जानते हैं…


पित्त में पथरी/स्टोन कैसे बनता है?


पित्ताशय पाचन के लिए आवश्यक एंजाइम को सुरक्षित रखने वाले सबसे महत्वपूर्ण अंग है. इसमें स्टोन बनने की आशंका बहुत अधिक होती है, जिन्हें गॉलस्टोन कहा जाता है. दरअसल जब गॉलब्लैडर में तरल पदार्थ की मात्रा सूखने लगती है तो उसमें मौजूद चीनी-नमक और अन्य माइक्रोन्यूट्रिएट तत्व एक साथ जमा होकर छोटे-छोटे पत्थर के टुकड़ों जैसा रूप धारण कर लेते हैं, जिन्हें गॉलस्टोन्स कहा जाता है. कभी-कभी पित्ताशय में कोलेस्ट्रोल, बिलीरुबिन और पित्त लवणों का जमाव हो जाता है. धीरे-धीरे वे कठोर हो जाती हैं तथा पित्ताशय के अंदर पत्थर का रूप ले लेती है.

पित्त की थैली में पथरी बनने का कारण


यदि शरीर में पानी की मात्रा कम होती है तो पित्ताशय में मौजूद पित्त में अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल एंजाइम नहीं घुला पाता है तो यह ठोस बन कर पत्थर का आकार ले लेता है. इसके अलावा अगर पित्त में बहुत अधिक बिलीरुबिन होता है, जैसे यकृत के सिरोसिस या कुछ रक्त विकारों में तो यह पत्थर के गठन का कारक होता है.

पित्ताशय में पथरी होने के लक्षण


जब पित्त की थैली में पथरी बन जाती है तो कई लक्षण सामने आते हैं. इन लक्षणों में निम्न प्रमुख है.बदहजमी
पेट में दर्द
खट्टी डकार
उल्टी
बहुत ज़्यादा पसीना आना
पेट फुलाना
एसिडिटी
पेट में भारीपन

होम्योपैथी में पित्त की थैली में पथरी का इलाज


गॉल ब्लैडर की पथरी यानी पित्त की पथरी का होम्योपैथी में काफी बढ़िया इलाज है. इसमें मदर टिंक्चर के अलावा होम्योपैथी दवा की गोलियां भी एक महीने तक खाने से फायदा होता है. डॉक्टर की देख रेख में होम्योपैथिक दवा का सेवन करने से महीने भर में पित्ताशय की पथरी का इलाज संभव है. चलिए पित्त की पथरी के लिए होम्योपैथिक दवा के बारे में जानते हैं…

पित्त की पथरी के लिए होम्योपैथिक दवाएंबर्बेरिस वल्गैरिस


यदि मरीज को पित्ताशय के आसपास वाले हिस्‍से में दर्द होना, लीवर के आसपास दर्द और इस दर्द का पेट की ओर बढ़ना, रंग पीला पड़ना (पीलिया) आदि जैसे लक्षणों में इस दवा का सेवन करने की सलाह दी जाती है है.बैप्‍टिसिया टिंक्‍टोरिया

इस दवा का इस्तेमाल पेट के दाईं ओर दर्द, पित्ताशय के आसपास घाव, दस्‍त, लीवर के आसपास घाव और दर्द जैसे लक्षणों के इलाज में किया जाता है. बंद कमरे में रहने, गर्म और उमस भरे मौसम में रहने पर स्थिति और गंभीर हो जाती है.कैल्‍केरिया कार्बोनिका

आपको बता दें कि पित्ताशय की पथरी और किडनी में पथरी इन दोनों पथरी के इलाज के लिए कैल्‍केरिया कार्बोनिका दवाई बहुत असरदार है. यह दवा पथरी रोगों के लिए एक एंटीडोट है. अगर दर्द के दौरान रोगी के बहुत पसीना निकलता है तब यह दवाई अधिक असरदार होता है.चेलिडोनियम मेजस

चेलिडोनियम मेजस होम्योपैथिक दवा का उपयोग पित्ताशय में तेज दर्द, पित्ताशय और लीवर के आसपास सूजन में किया जाता है. इसेक आलावा ये पीलिया और लीवर से जुड़ी बीमारियों के लिए भी इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है.टेलिया ट्रिफोलिएटा

इस दवा का उपयोग दबाव के साथ लीवर में सूजन और दर्द, लीवर से संबंधित स्थितियां, पेट के दाईं ओर दर्द, पेट के दाईं ओर लेटने पर दर्द आदि लक्षणों में किया जाता है.

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