पितृों को प्रसन्न करने के लिए दी जाती है पंचबली, जानिए क्या है इसका धार्मिक महत्व और लाभ
पितृ पक्ष का शास्त्रों में विशेष महत्व है। हर साल पितृ पक्ष 15 दिनों के लिए आते हैं। साथ ही पितृ पक्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होते हैं और आश्विन मास की अमावस्या तक चलते हैं। इस दौरान लोग अपने पूर्वजों को श्रद्धापूर्वक याद कर श्राद्ध कर्म करते है। श्राद्ध उसी तिथि को किया जाता है, जिस तिथि को पितर स्वर्गलोक गए थे। पितृ पक्ष में पंच ग्रास का विशेष महत्व है, इसे पंचबली के नाम से भी जाना जाता है। इन दिनों ब्राह्मण भोज के अलावा गाय, कुत्ता, कौआ और चीटियों आदि को श्राद्ध का भोजन खिलाया जाता है। मान्यता है कि इससे पितृ प्रसन्न होते हैं और सुख- समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। आइए जातने हैं पंचबली का महत्व और लाभ…
जानिए पंचबली का महत्व और लाभपितृ पक्ष में पंचबली का विशेष महत्व माना गया है। आपको बता दें कि। पंचबली भोजन में 5 स्थानों पर भोजन रखा जाता है जिसे गाय, चींटी, कौए और कुत्ते को खिलाया जाता है। मान्यताओं के अनुसार, पंचबली भोजन से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वह प्रसन्न होते हैं। इसके लिए भोजन को 5 पत्तलों पर निकालें और फिर मंत्रों के साथ संकल्प बोलें। श्राद्ध का सही समय दोपहर 12 बजे के बाद माना जाता है। इसके बाद ही ब्राह्राणों को भोजन भी कराना चाहिए।
ऐसे करें पितृ पक्ष में पंचबली
पंचबली के लिए सबसे पहला ग्रास गाय के लिए निकाला जाता है, जिसे गो बलि भी कहते हैं। वहीं इसके बाद दूसरा ग्रास कुत्ते को निकाला जाता है, जिसको श्वान बलि कहते हैं, फिर तीसरा ग्रास कौआ, जिसे काक बलि कहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, पितृ पक्ष के दौरान पितर कौओं के रूप में धरती पर आते हैं। वहीं चौथा ग्रास देव बलि होता है, जिसे जल में प्रवाहित कर दें या फिर गाय को खिलादें और अंतिम पांचवा ग्रास चीटियों के लिए निकाला जाता है, जिसे पिपीलिकादि बलि के नाम से जाना जाता है। चींटियों का खाना आप ऐसी जगह पर रख दें, जहांं चीटियां आती हो।
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