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IAS-Story-Mother-died-in-an-accident-father-worked

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Indian Army: उत्तर प्रदेश में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां पर मनोज कुमार नामक शख्स की भारतीय सेना में कभी भर्ती ही नहीं हुई, लेकिन वह चार महीने नौकरी किया और सैलरी भी उठाता रहा. शख्स 108 इनफैंट्री ब्टालियन पठानकोट में पोस्टेड था. मनोज के पास बाकायदा सेना का यूनिफॉर्म भी था. लेकिन चार महीने बाद उसको अहसास हुआ कि उसके साथ फर्जीवाड़ा हुआ है. मनोज ने बाद में इसकी एफआईआर दर्ज कराई. एक अंग्रेजी वेबसाइट के मुताबिक, मनोज कुमार की नियुक्ति इस साल जुलाई में हुई थी. उसने चार महीने नौकरी भी की और हर महीने 12 हजार 500 सैलरी हासिल करता रहा.

क्या है पूरा मामला?

मनोज कुमार की भर्ती भारतीय सेना में सिपाही राहुल सिंह ने कराई थी. उसने उसके बदले इसके लिए मनोज से 16 लाख रुपये लिए थे. मनोज की शिकायत के बाद धोखाधड़ी का मामला सामने आया. पुलिस ने मेरठ के रहने वाले राहुल सिंह और उसके सहयोगी बिट्टू सिंह को गिरफ्तार कर लिया. राहुल का एक अन्य सहयोगी फरार है और पुलिस उसकी तलाश कर रही है. सभी तीनों आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467, 471, 406, 323, 506 और 120बी के तहत केस दर्ज किया है.

गंभीर चूक का विवरण साझा करते हुए, मनोज कुमार ने कहा, मुझे 272 ट्रांजिट कैंप में बुलाया गया था और एक वरिष्ठ दिखने वाले सेना अधिकारी मुझे शिविर के अंदर ले गए जहां मेरे कौशल का परीक्षण किया गया और बाद में मेरी शारीरिक जांच की गई. जल्द ही, मुझे राहुल सिंह द्वारा सूचित किया गया कि मुझे भर्ती कर लिया गया है, लेकिन शुरू में मुझे कई काम करने होंगे. मुझे एक राइफल भी मुहैया कराई गई और कैंप में ही संतरी के तौर पर तैनात कर दिया गया.

उन्होंने कहा, जैसे-जैसे समय बीतता गया, मैंने अन्य जवानों के साथ बातचीत की और जब उन्होंने मेरा नियुक्ति पत्र और आईडी देखा, तो उन्होंने कहा कि यह फर्जी है. जब मैंने राहुल सिंह से बात की, तो उन्होंने फर्जी दस्तावेज थ्योरी को खारिज कर दिया. मुझसे छुटकारा पाने के लिए, उन्होंने अक्टूबर के अंत में मुझे कानपुर में एक शारीरिक प्रशिक्षण अकादमी में भेज दिया. वहां से मुझे घर भेज दिया गया. जब मैंने हाल ही में उससे मुलाकात की तो उसने मुझे डराना शुरू कर दिया.

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