पिता ट्रक ड्राइवर, एक परिवार के चारों बच्चे कर रहे MBBS

पंखों से नहीं, हौसलों से उड़ान होती है... यह कर दिखाया कालख ग्राम पंचायत के ढकरवालों की ढाणी निवासी एमबीबीएस कर रहे एक ही परिवार के चार बच्चों ने। सभी चाचा-ताऊ के बेटे हैं और सभी के पिता ट्रक ड्राइवर हैं। यह ढाणी अब डॉक्टरों की ढाणी के नाम से जानी जाती है।
भोलूराम के बेटे अर्पित का इसी साल एसएमएस मेडिकल कॉलेज, जयपुर में चयन हुआ है। अर्पित के बड़े भाई रमेश ढकरवाल को पिछले साल जेएलएन मेडिकल कॉलेज अजमेर में एडमिशन मिला था। चचेरे भाई कमलेश का एडमिशन पिछले वर्ष एसके मेडिकल कॉलेज सीकर में हुआ था। एक और चचेरे भाई सुनील का प्रवेश भी पिछले वर्ष जेएलएन मेडिकल कॉलेज अजमेर में हुआ था।
किसानी छोड़ी तो करनी पड़ी ड्राइवरी
अर्पित ने बताया कि सभी भाई किसान परिवार से हैं। पानी की कमी के चलते जब खेती ने धोखा देना शुरू किया तब पिता घर परिवार का पेट पालने के लिए ड्राइवरी करने लगे। भाइयों की कोचिंग की फीस अकेले कोई नहीं भर सकता था तो कभी कर्ज घर वाले मिलकर भर देते थे। घर में दूध से जो भी पैसे मिलते सब पढ़ाई पर खर्च होते रहे।
यह है संकल्प...
चारों भाइयों का संकल्प है कि वे डॉक्टर बनकर गरीबों की सेवा करेंगे व बेसहारा बच्चों को डॉक्टरी की पढ़ाई की तैयारी कराएंगे। ढाणी के अन्य युवा भी इनसे प्रेरित होकर मेडिकल की तैयारी में जुटे हुए हैं।
फीस के पैसे कर्ज लेकर भरने पड़े
इसी साल एमबीबीएस के लिए चयनित अर्पित के पिता भोलूराम ने बताया कि पढ़ा-लिखा नहीं होने के बावजूद उन्होंने बच्चों की पढ़ाई में दिक्कत नहीं आने दी। कई बार फीस के पैसे कर्ज लेकर भरने पड़े मगर हिम्मत नहीं हारी। पढ़ाई के साथ चारों बच्चे सुबह-शाम डेयरी पर दूध देने जाते और खेती में हाथ भी बंटाते थे।
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