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कम नंबर के कारण हुआ था स्कूल से निष्कासन, फिर आईपीएस अफसर बनकर किया नाम रोशन

कम नंबर के कारण हुआ था स्कूल से निष्कासन, फिर आईपीएस अफसर बनकर किया नाम रोशन

IPS Story: यूपीएससी पास कर आईएएस-आईपीएस बनना कोई साधारण बात नहीं है। इस एग्जाम को सबसे कठिन परीक्षा मानी जाती है। कई बार तो परीक्षा के सारे मौके निकल जाते हैं फिर भी सफलता हाथ नहीं लग पाती। आज हम ऐसे आईपीएस अफसर की बात करेंगे जिसे स्कूल में कम नंबर मिलने के कारण निकाल दिया गया था। बाद में बड़ा अफसर बनकर उसने नाम रोशन किया।

मेहनत का फेल मीठा होता है

कहते हैं ना कि मेहनत कभी बेकार नहीं जाती। मेहनत का फल हमेशा मीठा होता है। इसके बहुत सारे सबूत भरे पड़े हैं। उन्हीं में एक शख्स का नाम आता है। और, वो हैं आईपीएस आकाश कुल्हरी। ये बचपन में पढ़ाई में कमजोर थे। इस कारण उन्हें एकबार स्कूल से भी निकाला दिया गया था। लेकिन फिर भी आकाश ने कभी हार नहीं मानी और मेहनत करते रहे।

बीकानेर में हुई थी आरंभिक पढ़ाई

आकाश कुल्हरी ने शुरूआती पढ़ाई बीकानेर के एक स्कूल से की थी। साल 1996 में जब वो 10वीं के छात्र होते थे तो इन के परीक्षा में कम नंबर के कारण इनको स्कूल से निकाल दिया गया था। कम अंकों के कारण उनकी अगली कक्षा में दाखिला भी नहीं मिला था। उस समय आकाश पढ़ाई में काफी कमजोर थे, लेकिन उन्होंने कभी भी पढ़ाई को लेकर हार नहीं मानी। जिस का रिजल्ट आज उनका साफ देखा जा सकता है।

10वीं में 57 प्रतिशत और 12वीं में 85 प्रतिशत

आकाश कुल्हरी के 10वीं में सिर्फ 57 प्रतिशत नंबर थे। बाद में बड़ी मशक्कत के बाद इनके पिताजी ने आकाश का दाखिला केंद्रीय विद्यालय, बीकानेर में करा दिया। फिर शुरू निरंतर मेहनत करने का सिलसिला। आकाश ने कड़ी मेहनत कर 12वीं में 85 फीसदी नंबर हासिल किए।

जेएनयू में भी की पढ़ाई

उन्होंने 2001 में दुग्गल कॉलेज बीकानेर से बीकॉम और जेएनयू से स्कूल ऑफ सोशल साइंस से एमकॉम किया। इस दौरान उन्होंने फैसला लिया कि यूपीएससी की तैयारी करनी है, जिसके बाद उन्होंने 2006 में पहली बार परीक्षा दी जिसमें वो पहली ही बार में सिविल सेवा परीक्षा पास हो गए।

कैरियर के दो ऑप्शन मौजूद थे

आकाश कुल्हरी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि जब ग्रेजुएशन पूरी हुई तब मेरे सामने करियर के दो ऑप्शन थे। पहला यह था कि मैं MBA करूं और कॉर्पोरेट फील्ड में नौकरी करूं और दूसरा ऑप्शन था सिविल सेवाओं की तैयारी करना।

मां चाहती थी बड़ा अफसर बनूं

मेरी मां चाहती थी कि मेरे बच्चे अधिकारी बनकर देश की सेवा करें। इसलिए मां की इच्छा को पहले नंबर पर सम्मान करते हुए मैंने सिविल सेवा परीक्षा देने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि मैंने पहले अटेम्प्ट में यूपीएससी पास कर ली। छोटे भाई ने भी इसी रास्ता को चुना। आज वो भी अफसर है।

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