RBI withdraw 2000 Currency Note: 2000 का नोट क्यों हुआ बंद, क्या ये है बड़ी वजह
पहले भी बड़े नोट हो चुके हैं बैन
हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब भारत में बड़े नोटों पर प्रतिबंध लगाया गया है. इससे पहले 2016 में केंद्र सरकार ने 500 और 1000 रुपये के नोटों को भी बैन कर दिया था. वहीं, पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने 1978 में भी कालेधन पर लगाम लगाने के लिए 1000, 5000 और 10000 रुपये के नोटों पर प्रतिबंध लगाया था. मोरारजी सरकार ने यह फैसला कालेधन और उसके समांनतर चल रही अर्थव्यवस्था पर रोक लगाने के लिए किया था. जो 1980 के मध्यावधि चुनाव में इंदिरा गांधी ने इसे चुनावी मुद्दा बनाया था.
आतंकवाद और हवाला कारोबार होगा ध्वस्त
यह तो साफ है कि बड़े नोटों के प्रतिबंध से कालेधन और आतंकवाद को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है. क्योंकि आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए बड़े नोटों, हवाला कारोबार और कालाधन का ही इस्तेमाल किया जाता है. बड़े नोटों के बंद करने से आतंकियों के आर्थिक नेटवर्क को एक ही झटके में खत्म किया जा सकता है. आमतौर पर देखा जाए तो बड़े नोटों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने और लाने में आसानी होती है. पकड़े जाने का जोखिम भी कम होता है. आतंकियों या हवाला कारोबार से जुड़े लोगों को इसे कैरी करने में आसान होता है. अगर 2000 के नोटों को बंद किया जाता है तो इसमें कोई दो राय नहीं की आतंकवाद का नोटवर्क पूरी तरह से ध्वस्त होगा बल्कि उनकी होने वाली प्लानिंग भी पूरी तरह से खत्म हो जाएगी
वित्तीय अपराध, टैक्स से बचने वालों की भी खैर नहीं
बड़ी करेंसी नोटों को बैन करने से ना केवल आतंकियों के आर्थिक नेटवर्क को खत्म किया जा सकता है. बल्कि वित्तीय अपराध करने वाले या भ्रष्टाचार करने वाले या टैक्स से बचने वालों को भी नहीं बख्शा जा सकता है. विश्व बैंक की एक रिपोर्ट पर अगर गौर करें तो 2007 में भ्रष्टचार की अर्थव्यवस्था देश की अर्थव्यवस्था के 23.2 फीसदी के बराबर थी. वहीं 1999 में यह आंकड़ा 20.7 फीसदी थी. भारत समेत कई एजेंसियों ने भी इस तरह के अनुमान जताए थे.
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