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श्री राम का किन्नरों से क्या है संबंध, आखिर किन्नरों का आशीर्वाद क्यों माना जाता है शुभ

श्री राम का किन्नरों से क्या है संबंध, आखिर किन्नरों का आशीर्वाद क्यों माना जाता है शुभ

समाज में किन्नरों को लोग अलग-अलग तरह से देखते हैं, कुछ लोगों को किन्नरों का मंगल कार्यों में आने से खुशी मिलती है, तो वहीं कुछ लोग उन्हें धुत्कारने लगते हैं.लेकिन हमारे पौराणिक कथाओं में किन्नरों की एक खास जगह है. श्री राम और किन्नरों से जुड़ा एक किस्सा जिसके बाद किन्नरों को श्री राम ने एक आशीर्वाद दिया था, जिसका असर इनकी दुआओं में दिखता है. ये किस्सा श्री राम के वनवास से जुड़ा है, जब राजा दशरथ ने श्री राम को 14 वर्ष के लिए वनवास जानें को कहा, तब श्री राम पिता के कहने पर अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ वनवास जानें लगे, उन्हें रोकने और मनाने के लिए भरत और आयोध्या वासी श्री राम के पीछे-पीछे जाने लगे.

लोगों को अपने पीछे आते देख श्री राम ने सबको समझाया और विनम्र होकर और सप्रेम सभी नर, नारी को वापस आयोध्या लौट जाने को कहा, सभी श्री राम की बात मानकर वापस लौट गए।लेकिन किन्नर वहीं रूक गए।
श्री राम और किन्नरों से जुड़ा एक अनसुना किस्सा

जब प्रभु श्री राम अपने 14 वर्ष के वनवास से लौटे तो उन्होंने देखा की अयोध्या के बाहर किन्नरों का वास था, उन्होंने किन्नरों से पूछा कि आप लोग अयोध्या के बाहर क्यों रह रहे हैं, तब किन्नरों ने भावपूर्ण होकर जवाब दिया कि जब आप वनवास के लिए जा रहे थे और आपने नर, नारी बच्चे व बूढों को अयोध्या लौटने का आग्रह किया तो वह सब लौट गए, लेकिन हम न तो नारी हैं और ना ही नर, हमारे लिए स्पष्ट नहीं था कि हम क्या करें, इसलिए हम यहीं रूक गए और आपके लौटने की प्रतीक्षा करने लगे।

किन्नरों की ये बातें सुनकर श्री राम भावुक हो उठे, और उन्होंने किन्नरों को आशीर्वाद दिया कि आज के बाद आप किसी को भी आशीर्वाद देंगे तो वह फलित होगा।
इसलिए ये कहा जाता है कि मंगल कार्यों में किन्नरों का आना और उनका आशीर्वाद मिलना बहुत ही भाग्यपूर्ण होता है, मान्यता ये भी है कि अगर कोई किन्नर अपनी मर्जीं से आपको सिक्का दे तो ले लेना चाहिए उससे घर में बरकत होती है और आर्थिक कमी नहीं आती.

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