दान करने से पहले जान लें ये 4 नियम, कभी नहीं होगी बरकत की कमी
दान नियम: दान विधि और नियम: मनुष्य अपनी क्षमता के अनुसार दान करता है, लेकिन शास्त्रों में दान के कुछ नियम भी बताए गए हैं। अगर इन नियमों का पालन किया जाए तो दान का दोगुना फल मिलता है।
सनातन धर्म में दान का विशेष महत्व है। शास्त्रों में दान को मानव जीवन का अहम हिस्सा माना गया है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति दान करता है उसे वर्तमान और अगले जन्म में पुण्य का फल मिलता है। मनुष्य अपनी क्षमता के अनुसार दान करता है, लेकिन शास्त्रों में दान के कुछ नियम भी बताए गए हैं। यदि इसका पालन किया जाए तो दान का दोगुना फल मिलता है।
दान नियम
1- जरूरतमंदों को दान
शास्त्रों के अनुसार दान केवल उन्हीं को दें जिन्हें इसकी आवश्यकता हो। जरूरतमंद या गरीबों की मदद करना और उन्हें दान देना शुभ होता है। कभी भी द्वेष भावना से दान न करें। दुखी मन से किए गए दान का कोई लाभ नहीं मिलता है। खुशी से देने से समृद्धि बढ़ती है।
2- धन का दशमांश
शास्त्रों के अनुसार व्यक्ति को जितना धन कमाना चाहिए उसका दसवां हिस्सा दान में देना चाहिए। जिससे घर में बरकत बनी रहती है। ध्यान रखें कि मेहनत से कमाया गया धन ही दान में इस्तेमाल करना चाहिए। गलत तरीके से कमाया हुआ धन दान करने से फल नहीं मिलता।
3- हाथ में देकर दान करें
शास्त्रों में तिल, कुश, जल और चावल का दान हाथ में देकर करना चाहिए। अन्यथा राक्षस उस दान पर अधिकार जमा लेते हैं। सोना, चांदी, गाय, भूमि, तिल, घी, वस्त्र, नमक आदि महादान की श्रेणी में आते हैं।
4- निःस्वार्थ भाव से दान करें
दूसरों के माध्यम से दान करने की अपेक्षा स्वयं जाकर दान करना हमेशा सर्वोत्तम माना जाता है। कभी भी स्वार्थवश दान न करें। ऐसा करने से पुण्य नहीं मिलेगा. इसके अलावा कभी भी किसी का दिया हुआ उपहार दान न करें। गुप्त दान हमेशा अच्छा माना जाता है। स्वार्थ या किसी अन्य नकारात्मक भावना से किया गया दान फल नहीं देता है.
No comments