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AdhikMass Sawan: जानें कब है सावन का 5वां मंगला गौरी व्रत

AdhikMass Sawan: जानें कब है सावन का 5वां मंगला गौरी व्रत

सावन का महीना सनातन धर्म में बेहद खास होता इस साल सावन के महीने में अधिक मास लगने से इस सावन का महत्व और भी अधिक हो गया है। पुराणों के अनुसार, सावन का माह भगवान शिव को अतिप्रिय होता है। सावन के प्रत्येक मंगलवार को मां पार्वती का पूजन किया जाता है और इस दिन मंगला गौरी व्रत भी रखा जाता है।

सावन माह कि हर मंगलवार को विवाहित स्त्रियां अपने सुहाग की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करते हुए, मां मंगला गौरी का व्रत करती हैं। इस साल सावन में अधिक मास लगने से कुल नौ मंगला गौरी व्रत पड़ रहे हैं। वहीं 1 अगस्त को इस साल का पांचवा मंगला गौरी व्रत रखा जाएगा।

मंगला गौरी व्रत का महत्व-

मंगला गौरी व्रत सुखी वैवाहिक जीवन और अखंड सौभाग्य की कामना के साथ सभी सुहागिने इस व्रत को करती हैं। कुंवारी कन्या अभी इस व्रत को कर सकती हैं। इससे उनके जीवन में शीघ्र विवाह का योग बनता है, वहीं मंगला गौरी व्रत को वे लोग भी कर सकते हैं, जिनकी कुंडली में मंगल दोष हो। अगर पौराणिक कथाओं की माने, तो मां पार्वती ने इस व्रत को विधिपूर्वक करके भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया था।

पूजा-पाठ की विधि-

आने वाली मंगलवार को मंगला गौरी व्रत रखा जाएगा। इस दिन व्रतकर्ता को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और स्वच्छ कपड़े धारण कर पूजा घर में दीपक जलाकर भगवान से प्रार्थना करनी चाहिए। मंगला गौरी व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा होती हैं। इस पूजा को करने के लिए एक लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर मां पार्वती और शिव की तस्वीर या फिर मूर्ति स्थापित करनी होती हैं। इसके बाद मां पार्वती को सिंदूर लगाकर फूल, कुमकुम, फल आदि के साथ सोलह सिंगार समर्पित किया जाता है। जिसके बाद दीपक और धूप जलाई जाती है और मां मंगला गौरी की व्रत की कथा पढ़ कर आरती की जाती हैं। व्रत के दिन व्रतकर्ता फलहार कर सकता है और अगले दिन अपने व्रत को खोल अन्न खा सकता है।

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