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क्या आप जानते हैं दूल्हा घोड़ी ही क्यों चढ़ता है, घोड़े पर क्यों नहीं? सफेद घोड़ी का है विशेष महत्व

क्या आप जानते हैं दूल्हा घोड़ी ही क्यों चढ़ता है

हम सब परंपराओं से जुड़े हुए हैं. कई बार हम बस बिना पूछे परम्पराएं निभाते रहते हैं और कई बार यही परम्पराएं हमारे दिमाग में कई सवाल पैदा कर जाती हैं. जैसे कि आपने भी बहुत सी शादियां देखी होंगी, इन शादियों में ही कई ऐसी रस्में होती हैं जिन्हें देख हम कई तरह के सवाल सोचने लगते हैं.

आपने कभी ये सोचा है?

इन्हीं में से कुछ सवाल हैं कि दूल्हा घोड़ी क्यों चढ़ता है? दूल्हा घोड़े पर सवार होकर क्यों नहीं आता? अगर दूल्हा घोड़ी पर ही चढ़ता है तो सफेद घोड़ी पर क्यों चढ़ता है? क्या ऐसे सवालों को सोच कर आपका सिर कभी चकराया है? नहीं चकराया तो अब जरूर चकरा जाएगा. लेकिन फिक्र मत कीजिए, इन सवालों के साथ साथ हम आपको इनके जवाब भी बताएंगे.

घोड़े पर क्यों नहीं चढ़ता दूल्हा?

पहले इस विषय पर बात करते हैं कि आखिर दूल्हा शादी के समय घोड़ी ही चढ़ता है, घोड़े पर क्यों नहीं चढ़ता. दरअसल, घोड़े का स्वभाव अधिक गुस्सैल होता है. यदि इसे प्रशिक्षित ना किया जाए तो ये किसी को अपनी पीठ पर भी हाथ नहीं रखने देता. ऐसे में इसे काबू कर पाना बहुत मुश्किल होता है. घोड़े की आक्रामकता के कारण ही इस तेज ऊर्जा वाले जानवर को पहले के समय में युद्ध भूमि में लड़ने के लिए ले जाया जाता था.

इसलिए बैठना पड़ता है घोड़ी पर?

वहीं दूसरी तरफ शादी के लिए बाल या ताकत नहीं बल्कि समर्पण की जरूरत होती है. यही कारण है कि शादी के समय दूल्हा घोड़े पर नहीं घोड़ी पर बैठकर दुल्हन लेने निकलता है. वहीं, घोड़ी चढ़ने का मतलब होता है कि एक लड़का अपने जीवन की नई शुरुआत करने के लिए तैयार है. ऐसे में वह अपने वैवाहिक जीवन की बागडोर को अच्छी तरह से संभालने का सामर्थ्य रखता है कि नहीं इसे साबित करने के लिए दूल्हे को घोड़ी पर बैठना पड़ता है.

घोड़े के मुकाबले घोड़ी को संभालना आसान होता है, लेकिन वह अधिक चंचल, बुद्धिमान, और दक्ष होती है. जब लड़का घोड़ी चढ़ जाता है, तो यह समझा जाता है कि उसने अपने बचकाना व्यवहार पर काबू पा लिया है, और शादीशुदा जिंदगी की जिम्मेदारियों को संभालने के लिए अब पूरी तरह से तैयार है.
सफेद घोड़ी का इसलिए है खास महत्व

वहीं अब ये सवाल बचता है कि दूल्हा सफेद घोड़ी पर ही क्यों सवार होता है, तो इसका जवाब है कि सफेद घोड़ी शुद्धता, व्यावहारिकता, प्रेम, फर्टिलिटी, उदारता, सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक समझी जाती है. इसलिए जब लड़का अपने जीवन की नई पारी शुरू करने के लिए निकलता है तो सफेद घोड़ी पर सवार होता है

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