गर्भ में शिशु को मिलते हैं पोषक पदार्थ, जन्म के तुरंत बाद भी मां का दूध जरूरी
आपरेशन द्वारा प्रसव के बाद आमतौर पर चार से छह घंटे में शिशु को मां का दूध पिलाना शुरू कर देना चाहिए। वहीं सामान्य प्रसव के ज्यादातर मामलों में शिशुओं को तुरंत दूध पिलाना शुरू किया जा सकता है। जबलपुर के शिशु, बाल्य तथा किशोर स्वास्थ्य विशेषज्ञ डा. प्रदीप अरोरा का कहना है कि आपरेशन द्वारा प्रसव के बाद आमतौर पर चार से छह घंटे में बेहोशी की दवा का असर समाप्त होने के तुरंत बाद मां का दूध शिशु को पिलाना चाहिए।
पहले दो दिन कम बन सकता है दूध
डा. प्रदीप अरोरा के अनुसार ज्यादातर लोगों को यह जानकारी नहीं होती है कि प्रसव के पश्चात पहले दो दिन दूध अक्सर बहुत कम बनता है। बहुत सी माताएं या सगे संबंधी इस तथ्य को न जानने के कारण यह समझ लेते हैं कि कोई कमी है। इसलिए शिशु को ऊपर को दूध पिलाने की सलाह देते हैं। प्रथम दो दिनों में भी जितना दूध बनता है वह पूरे नौ माह गर्भ में रह कर जन्मे सामान्य शिशु की जरूरतों को पूरी करने पर्याप्त रहता है। क्योंकि वे गर्भ से ही शरीर में काफी पोषक पदार्थ संचित लेकर जन्म लेते हैं।
बीमारियों के दौरान भी मां का दूध जरूरी
दस्त के लगभग सभी मामलों में बच्चों को मां का दूध पिलाना जारी रखा जाना चाहिए। बच्चों की ज्यादातर बीमारियों में स्तनपान जारी रखा जा सकता है। मां की ज्यादातर बीमारियों के दौरान शिशु को मां का दूध पिलाया जा सकता है। कुपोषण से ग्रस्त मां के दूध की गुणवत्ता भी अच्छी रहती है। प्रकृति ने प्रत्येक मां को पर्याप्त मात्रा में दूध बनाने की क्षमता प्रदान की है। यदि मां के जुड़वा शिशु हों और वे दोनों को बार-बार पर्याप्त समय तक आंचल से लगाएं तो बनने वाले दूध की मात्रा सामान्य से दोगुनी हो जाती है तथा दोनों शिशुओं की जरूरत पूरी कर पाना संभव रहता है।
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